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Thursday, February 24, 2011

अँधेरे से उजाले की ओर





मिटा दे अंतरात्मा के अँधेरे को
सजाये दीप ज्योत उजाले के
विस्वास का दीप जलाए
आओ मिलकर दीप जलाए

खुशी के ,सौहाद्र के
हर दिल में सच्चा प्यार जगाये
दूर करे हर दूरियाँ
सजा दे हर घर द्वार को
ज्योतीरमय हो हर ओर धरा

आज दीपक बार कर
संतोष धन को पुजिए
देश भाषा संस्कृति का
मन से मंगल कीजीये

दीन हीनो की सदा सेवा
अज्ञान तम का नाश हो
दीपक से शिक्षा लीजी
ये


इसी तरह हर लोग अपनी जीवन केलिए... दीप सजावो ..अंडकार चोदकर...खुसी से ......जब ,,. सब टीक चेलते है .. !


LIFE IS FULL OF LIGHTS I WISH......

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